रविश कुमार ने बहुत ही सही कहा ।उनकी बातें कोई नई नहीं थी लेकिन पते की
थी।नो कोश्चन इज सिली कोश्चन, हम मेहनत तो करते है पर खबरों की डिलीवरी
में प्राब्लम है,सांमती संस्कार हमें बेहतर रिपोर्टर बनने से रोकती है या
आपका साथी अच्छा या बुरा काम करें तो उसका असर आप पर भी पड़ता है।यह सारी
बाते सीधे दिमाग पर क्लिक करती है।उन्होंने कहा कि हम मेंहनत तो करते है
पर खबरों की डिलीवरी में ही प्राब्लम है।हमें चिंता कम श्रम ज्यादा करना
चाहिए।यह सारी बातें ऐसी नहीं थी जो हमने आज ही सुनी है।पहले भी कई
फैकल्टी ने हमें ऐसी बातें बताई है लेकिन मुझे उनका अंदाज बहुत पंसद आया।
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