Saturday, February 20, 2010

माई बेस्ट फ्रेंड इज बुक

नन्हीं सी उम्र में हाथो में किताब लिए, आंखो में सपना और होंठो पर मुस्कान लिए, सूरज कहता है, माई बेस्ट फ्रेंड इज बुक।जी हां हम सबने बचपन में पढ़ा हैं कि किताबें हमारे बेस्ट फ्रेंड होते है।सच भी है कि किताबे हमारे सच्चे दोस्त होते है । पांच साल के बच्चे सूरज का यह कहना थोड़ा नही कुछ ज्यादा ही खुशी देता है।इस उम्र में जहां इनके हाथों में खिलोने, हेलिकाप्टर और गुड़िया होती है वहीं किताबे पकड़े ये बच्चे एक सुखद एहसास कराते है।खुशी इस बात की है कि आज भी ऐसे माता पिता है जो उन्हें पुस्तक मेले में लेकर जाते है। पुस्तक का महत्व बता रहे है।ज्ञान जरूरी है और यह किताबों से ही आता है।
बच्चों का कल्पना संसार इंद्रधनुषी रंगो से मिलकर बना होता है ।इसमें थोड़े खेल है,तो कहीं कार्टून ।इसमे किताबो के रंगो का होना भी जरूरी होता है।इस पुस्तक मेले में जहां युवा का हिंदी साहित्य की तरफ रूझान था, वहीं बच्चो का भी अपना टेस्ट था।इस बार बच्चो के रूझान को देख प्रकाशक भी खुश है।उन्होंने उनके हिसाब से ही बाजार में किताबे उतारी है।चाहे वो मार्क टवेन, जूल्स बर्न, पंचतंत्र या अकबर बीरबल की कहानियां ही क्यों न हो।5वीं मे पढ़ने वाला साहिल को रंगबिरंगी कवर वाली और रोमांचक कारनामों के किताब पसंद हैं।तीसरी कक्षा मे पढ़ने वाली सोनी पजल्स और पेंटिग की किताबे खरीद रही हैं।देखा जाए तो इस बार बच्चो की ही डिमांड रही ।अभिभावक जहां शिक्षाप्रद किताबें खरीदने को इच्छुक थे, तो बच्चे फिक्शन फैंटसी और कामिक्स में रुचि ले रहे थे।
कल्याणी नवयुग मीडिया पब्लिकेशन के अभिषेक सिंह ने बताया कि बच्चो की डिमांड के अनुसार वेस्टर्न को ग्राफिक्स नावेल के रूप में लेकर आए है।अंग्रेजी किताबो को हिंदी मे अनुवाद भी किया गया।बच्चों को चेतन भगत रैमरूम ,करेंट अफेयर्स की पुस्तक के साथ ओबामा और कलाम की पुस्तक में भी रुचि बढ़ी।

No comments:

Post a Comment