Thursday, January 14, 2010


आज मकर संक्रांति है
आज मकर संक्रांति है आज के दिन हमारे यहाँ दही चुरा खाते थे .आज हॉस्टल में रहकर में माँ की आलू के सब्जी और दही चुरा बहुत याद कर रही हूँ .ना जाने क्यूँ लेकिन आज मेरा मन नहीं लग रहा .आज के दिन माँ अपने बच्चो को हाथ में तिल देकर उनसे हमेशा अपनी रक्षा करने का वादा लेती है.आज के दिन मान्यता है की सुबह सुबह नहा कर खाना होता है .ये कहनी की बात है लेकिन हम ये करने को मजबूर होते थे क्यूंकि बिना नहाये खायेंगे तो दूल्हा काला मिलेगा ये माँ कहती थी पर अब ये सब बकवास लगता है .सच बताऊ तो कभी कभी दिल में डरलग ही जाता है अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा.आज मैंने सबसे पहले माँ को याद किया मतलब मम्मी को .तब नहा कर साईं की पूजा की फिर थोडा कुछ खा कर मिनी औडी चली गयी .थोड़े देर के बाद पुस्तकालय गए आज हमे अपना लैब जोर्नल निकालना है .अब लैब में हूँ .आज मेरा मन नहीं लग रहा .क्या करू .रात में खिचरी बनती थी वो भी आलू गोबी मटर वाली.मगर हॉस्टल में तो कोई भी त्यौहार का पता भी नहीं चलता.येही जीवन है .