Saturday, February 20, 2010

2010 का गणतंत्र दिवस


स्नेहा शर्मा

भारतीय राष्ट्र राज्य के 60 वें गणतंत्र दिवस समारोहं के परेड में बहुत कुछ अलग था। कई राज्यों की झाकियों का ना होना,बहादुर बच्चो का हाथी पर चढ़ कर ना आना,कुछ तो अलग था।इस समारोह की एक अच्छी शुरूआत हुई।कोहरे को चीरती हुई किरणे, पक्षियों का चहचहाहट और लोगो के उत्साह नें समारोह में एक नया रंग भर दिया ।देश की अतुलनीय सामरिक क्षमता और बहुँरगी सांस्कृतिक विरासत की झलक में कहीं कमीं नहीं थी,लेकिन इस बार कई राज्यों की झाकियाँ न होने के कारण थोड़ी निराशा हुई।
क्योकिं परेड देखने आए लोगो की उम्मीद थोड़ी ज्यादा होती हैं।
हजारों की संख्या में पहुचेँ दर्शक भारत की सैन्य क्षमता की जोरदार तैयारियों को देख मंत्रमुग्ध हो गए थे।घने कोहरे के कारण परेड देखने वाले दर्शक के जोश में कोई कमी नहीं थी।राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर वहां उपस्थित थे।राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल नें सलामी मंच से राष्ट्रीय ध्वज फहराया और सलामी दी ।इसी मौके पर 21 तोपो की भी सलामी दी गई।इस बार समारोह के मौके पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली म्यूंग बाक मौजूद थे।इसके साथ उपराष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ,केंद्रीय मंत्रीमंडल के सदस्य सहित देश और विदेश की जानी मानी हस्तियां भी उपस्थित थी।
समारोह में कोई भी गड़बड़ी को रोकने के लिए सुरक्षाबलों नें पूरी तैयारी कर रखी थी।हमेशा की तरह समारोह का समापन अच्छे तरीके से हो गया।भारतीयों की एकता और अंखडता की तस्वीर राज्यों की झाकियों में साफ तौर पर दिखाई दिया लेकिन यह भी सच है कि कम राज्यों की झाकिंयो की कमी खली।

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