Tuesday, September 29, 2009

थक गया भविष्य
यह कहा गया की युवा देश को बेहतर चला सकता है
लेकिन शशि थरूर जी तो इन सब बातो पर पानी फेर दिया
वे केटल क्लास की बात बिना हिचक कह सकते है
और अब अपने काम को लेकर रो रहे है वे जब अपने काम
को देश की सेवा नही समाज सकते तब उनसे क्या उम्मीद की जाए

Tuesday, September 1, 2009

कब्र के आगोश में जब थक क्र सो जाते है माँ
तब कही जाकर थोड़ा सुकून पतिहै माँ
फ़िक्र में बच्चो के इस तरह घुल जाती है माँ
नौजवान होते हुए भी बुद्धि नजर आती है माँ
खुशियों में इन्कोह्म लाख भूल जाए ऐ दोस्त
मुसीबत जब सर पे आतइ है तोयाद आती है माँ
रूह के रिश्तो की गहराई तो देखो
चोट लगती है हमें और दूर कही गहब्रती है माँ