Wednesday, November 11, 2009

तुम होते तो क्या होता


तुम होते तो क्या होता
वो अकेली रात ,
सुनसान कमरे में मै
सोच रही थी ये ,
तुम होते तो क्या होता।

न जाने क्या हलचल हुई,
कौन सी मज़बूरी थी ,
मन मानने को तैयार नही,
क्यूँ इतनी मज़बूरी थी ।

मैं अंधेरे के आगोश में,
सोच रही थी मै,
इस पल ने बाँधा मुझे ,
महसूस कर रही थी ।

क्या हुआ कुछ न जाना मैने,
क्या सोचा पता नहीं,
तुम थे कि नहीं,
यह भी मुझे याद नहीं।

आकर न जाया करो,
पास मेरे बैठा करो,
सुनना चाहती हूं तुम्हे मैं,
हर वक्त कुछ कहा करो।

और इन्ही ख्यालों में,
कहती रहती हूं कि,
तुम होते तो ये होता,
तुम होते तो वो होता।


4 comments:

  1. आकर न जाया करो,
    पास मेरे बैठा करो,
    सुनना चाहती हूं तुम्हे मैं,
    हर वक्त कुछ कहा करो।
    बहुत खूब...कोई तो हो जो आए और बस कहता रहे जिसे हम सुनना चाहते हैं हर पल...हर लम्हा...बस वो कहता रहे और हम सुनते रहें...एक अच्छी रचना।

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  2. dil k kwabome se gata hu koi geet..
    vo bhi lagta hai mujhe bada ajeeb..
    par aaj has k jab kahte ho ye tha bahot pyara sa geet..
    to lagta hai ki milgaya hame mera meet...

    ReplyDelete
  3. dil k kwabome se gata hu koi geet..
    vo bhi lagta hai mujhe bada ajeeb..
    par aaj has k jab kahte ho ye tha bahot pyara sa geet..
    to lagta hai ki milgaya hame mera meet...







    I love u.......

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  4. chahat hai meri haste raho hamesa..
    dil ki bate karte raho hamesa..
    koi bat ho to kaho khul k hamse ...
    kabhi riste me jhhot na aye dusman ban k....

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