कब्र के आगोश में जब थक क्र सो जाते है माँ
तब कही जाकर थोड़ा सुकून पतिहै माँ
फ़िक्र में बच्चो के इस तरह घुल जाती है माँ
नौजवान होते हुए भी बुद्धि नजर आती है माँ
खुशियों में इन्कोह्म लाख भूल जाए ऐ दोस्त
मुसीबत जब सर पे आतइ है तोयाद आती है माँ
रूह के रिश्तो की गहराई तो देखो
चोट लगती है हमें और दूर कही गहब्रती है माँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment